The Poet

तुम चली तो गईं लेकिन एक टूटा फूटा आदमी एक टूटे दिल के साथ छोड़ गईं जिसका बोझ मैं अकेला

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जला है जिस्म जहां दिल भी जल गया होगा कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है हुआ है शह

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मुद्दतें दर्द की लौ कम तो नहीं कर सकतीं ज़ख़्म भर जाएँ मगर दाग़ तो रह जाता है दूरियों से

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रेत की लकीरें अब पत्थरों पर उतर आईं दोजख के सपने सच्चाई बन गए दिलों का बटवारा तो हो गया

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