The Poet

ग्रंथि, पंडित, मौलवी के सामने निकाह पढ़ लेता तू जो कहती तो सितारे आसमां में जड़ देता लेकिन अब किसी […]

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तुम चली तो गईं लेकिन एक टूटा फूटा आदमी एक टूटे दिल के साथ छोड़ गईं जिसका बोझ मैं अकेला

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जला है जिस्म जहां दिल भी जल गया होगा कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है हुआ है शह

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मुद्दतें दर्द की लौ कम तो नहीं कर सकतीं ज़ख़्म भर जाएँ मगर दाग़ तो रह जाता है दूरियों से

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