The Poet

रेत की लकीरें अब पत्थरों पर उतर आईं दोजख के सपने सच्चाई बन गए दिलों का बटवारा तो हो गया

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जख्मों पर तेरे प्यार के पैबंद लगा कर चल निकला,सफ़र इतना लंबा था की नासूर पैरों पर उतर आए। –

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मैं जानता हूं बहुतों ने की मुहब्बत तुझसे पहले मुझसे मैं जानता हूं मैं पहला नहीं जो जागा रातों में

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महरूम मोहब्बत का ये सिला मिला,इश्क के बदले में फलसफा मिला! – राकेश शुक्ल ’मनु’

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