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हकीमों दवाखानों में गुजार दी तूने तमाम उम्र ‘मनु’ पर जब भी गिरेबां में देखा दिल के ज़ख्म हरे ही […]

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रकीबों की दिल्लगी का क्या बुरा मानना ‘मनु’ दिल लगाने की गुस्ताखी तो तूने भी की – राकेश शुक्ल ‘मनु’

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तेरे प्यार में जाने क्या क्या सीखा पहले खुद से जीना सीखा फिर तुझ पर मरना सीखा – राकेश शुक्ल

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प्यार ऐसा के जान मांगी होती तो दे देता ‘मनु’ लेकिन तूने तो मेरे हाथ ही काट दिए – राकेश

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तेरे मरने पर बहुत सन्नाटा होगा ‘मनु’ क्या होता जो तेरी चीखें तेरे जीते कोई सुन लेता – राकेश शुक्ल

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मोहब्बत का कामयाब होना नहीं मोहब्बत का होना ही मोहब्बत का सिला है यही सोच कर हम भी चले थे

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या खुदा उससे अलग मुझे अपनी कोई खुदाई ना दे ऐसा कभी सितम न कर के उसका प्यार मिले पर

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जबसे तू रूठा है ये हाल हो गया है खुश्क सर्द मौसम बदलते है मलाल नहीं गया है – राकेश

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हमारा प्यार भी क्या शकिस्ता-ए-दिल निकला तू तंग दिल निकला ‘मनु’ संग दिल निकला – राकेश शुक्ल ‘मनु’

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कमज़र्फ होने का दाग तो बचपन से था ‘मनु’ एक प्यार का हुनर था जो जवानी ने छीन लिया –

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