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तलाक़: एक रुका हुआ फैसला तलाक़ क्या दिलों के भी होते हैं? शादियां एक अनुबंध हैं किसी किताब को साक्षी […]

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क्या बदल गया तेरे न होने से क्या बदल गया तेरे न होने से क्या भोर नहीं होती, या सांझ

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हमनें सोचा था तेरी मोहब्बत हमारी तमाम उम्र का सिलसिला होगा,तेरी रुखसत के बाद जाना मोहब्बत ही मोहब्बत का सिला

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गहरे ज़ख्म और नाकामयाब मोहब्बत,कभी भरते नहीं हरे ही रहते हैं!– राकेश शुक्ल ‘मनु’

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मेरी तेरी ज़िंदगी में अब कोई जगह नहीं कहता है प्यार की उस पहली महक के बाद तुझे प्यार था

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आखिर एक सुबह तो आई एक आशा के साथ,भले ही दूर बादलों में छिपे सूरज की तरह धूमिल। – राकेश

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एक मुद्दत बाद आज फिर एहसास हुआतेरे होने का, तुझमें खोने का, तेरी बाहों में रोने का – राकेश शुक्ल

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अच्छा किया अपने नाम के साथ नाम हमारा कभी जुड़ने न दिया,दुनियावाले नाम से मेरे जल जाते! – राकेश शुक्ल

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नाकाम तो पहले से थे तेरी मोहब्बत के सिवा,अब उसमें भी तूने हमें नाकामयाब कर दिया। – राकेश शुक्ल ‘मनु’

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