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दिल जलता है मेरा, ऐसी पीर जिसका कोई इलाज नहीं बस समझ नहीं आता, सांस आखिरी है या आस आखिरी […]

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नहीं आऊंगा अब कभी दर पर दीदार को तेरे राकीबों की कतारों की अबतक आदत नहीं मुझे – राकेश शुक्ल

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रौनकों, रोशनियों से अगर रूहों के दर्द छुप जाते तो ‘मनु’ तू आज ताज की तरह मकबरा न होता –

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रौनकों, रोशनियों से अगर रूहों के दर्द छुप जाते तो ‘मनु’ तू आज ताज की तरह मकबरा न होता –

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प्यार का इज़हार तू क्या करेगा ‘मनु’ कुछ ऐसा सोच जो रकीबों ने ना किया हो – राकेश शुक्ल ‘मनु’

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तुम आ गए हो नूर आ गया है नहीं तो चराग़ों से लौ जा रही थी जीने कि तुमसे वजह

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कब तक उसकी याद में रोएगा ‘मनु’ अश्कों के सैलाबों पर प्यार के पुल नहीं बंधते – राकेश शुक्ल ‘मनु’

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