Author name: admin

नाकाम तो पहले से थे तेरी मोहब्बत के सिवा,अब उसमें भी तूने हमें नाकामयाब कर दिया। – राकेश शुक्ल ‘मनु’

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दामन में मेरे दाग़ क्या कम थे पहले?के सीने में खंजर डाल कर पूछते हो ‘सब सुकूं से तो है’?

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बिखरे हुए कांच के मेरे दिल के टुकड़ों पे चल के आनामुझे तक पहुंचने का कोई और रास्ता नहीं है!

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तू मुझसे खफा है, मैं भी अपने आप से तूने कहा सब झूठा है, सब सारी बातें सब कसमें, वो

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ख़्वाब ख़्वाब तो हमने भी देखे थे हर सुबह तेरे बदन की महक के हर दिन तेरे इंतजार के दफ़्तर

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तमाम उम्र तेरे सजदे के बाद भी काफ़िर ही कहलाए हम,शायद मुझे ज़बह कर के तुझे मेरे ईमान का यकीन

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कभी दुनिया से हार कर तेरी आगोश में छुपता था,आज तुझे हार कर भीड़ में छुपा बैठा हूं! – राकेश

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गर मालूम होता मौत लावारिस होनी थीतेरी आगोश की जगह कब्र ढूंढते – राकेश शुक्ल ‘मनु’

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