कहते हैं प्यार मरता नहीं
सच ज्यादा पेचीदा है
प्यार मर जाता है
जब दूसरे के लिए खत्म हो जाए
या किसी तीसरे से हो जाए
थोड़े समय तक टूटे दिल का बोझ सहा नहीं जाता
फिर आदत सी हो जाती है
वो दर्द जो सहा नहीं जाता था
एक टीस बन कर रह जाता है
वो भी धीरे धीरे कम, और कम, हो जाती है
ऐसा ही होगा
तू भूल जायेगा मुझे
सब सारी बातें, वो कसमें
वो रिश्ता जो समझते थे खून से गहरा था
समय के साथ पानी बनकर बह जाएगा
लेकिन खुशियां कम नहीं होती
नई जगहें होंगी नई खुशियां होंगी
होना भी चाहिए
हम अतीत में नहीं रह सकते
लेकिन कभी रसोई में तुझे उस खुशबू से एहसास होगा
जैसे ये एक रोटी पहले भी बनाई थी
समंदर की मखमली रेत पर अचानक
उस समय की याद आयेगी जब सूरज को ढलते देखा था
घर के फूलों में यकायक वो खुशबू याद आयेगी
जो दो दिन के लिए सही हमारे घर में थी
बच्चों की किलकारियां कभी याद दिलाएंगी
उस दैत्य की जो तेरे लिए बच्चों सा हंसता था
कहते हैं प्यार मरता नहीं
सचमुच
सिर्फ समय की परतों में लिपटकर
कहीं खो जाता है
– राकेश शुक्ल ‘मनु’