अहमकों को प्यार का हक नहीं होता
अगर दिल साफ हो लेकिन जबान नहीं
तो लाख दलीलों पर भी दिल पर उसके हक नहीं होता
बेहिसाब प्यार को हमारी ही बेरुखी ने तोड़ा
लायक होते तो नलायकी पर इतना फक्र नहीं होता
हम रोते रहे तेरे जाने से सालों साल
पागलों की चीखों पर लेकिन लोगों को शक नहीं होता
अब क्या बताएं उसे अपने दिल का हाल
वो कह चुका उम्र भी गुजरे कोई फ़र्क नहीं होता
जहां में सबसे खूबसूरत है पर अब चला ही जा
हमें काफिर बनाने तुझको भी हक नहीं होता
तुझे बेहद चाहा है लेकिन क्या करें
अहमकों को प्यार का हक नहीं होता
– राकेश शुक्ल ‘मनु’