तू मुझसे खफा है, मैं भी अपने आप से
तूने कहा सब झूठा है, सब सारी बातें
सब कसमें, वो खून का लाल रंग
कभी तुझे प्यार था ही नहीं
मेरी आंखों का धोखा था
लेकिन क्या करते,
तेरी ही अदालत में सर झुकाए खड़े थे
हम ही मुद्दई भी थे हम ही मुलजिम थे
और झूठ सच बन गया
हमने भी मान लिया
जैसा तूने कहा था
कभी तुझे प्यार था ही नहीं
मेरी आंखों का धोखा था
– राकेश शुक्ल ‘मनु’