ग्रंथि, पंडित, मौलवी के सामने निकाह पढ़ लेता

तू जो कहती तो सितारे आसमां में जड़ देता

लेकिन अब किसी कौम की बंदिश नहीं

जानता हूं तुझे मेरी कोई ख्वाहिश नहीं

– राकेश शुक्ल ’मनु’

 

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